हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए)

अगर आप मकान के किराये की रसीदें दफ्तर में जमा करा दें तो एचआरए को खर्च मान लिया जाता है और उसे टैक्सेबल इनकम में नहीं जोड़ा जाता। अगर आप अपने घर में रह रहे हैं या ऐसे घर में हैं, जहां आपको रेंट नहीं देना होता, तो एचआरए आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाएगा। अगर किराया दे रहे हैं तो नीचे दी गई रकमों में से जो सबसे कम होगी, उस रकम पर आपको टैक्स नहीं देना होगा :

- साल भर में दफ्तर से मिला कुल एचआरए।

- चुकाए गए सालाना किराये की रकम में से सालाना बेसिक सैलरी के 10 फीसदी हिस्से को घटाने पर निकली रकम।

- अगर दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी में हैं तो बेसिक सैलरी का 50 फीसदी और दूसरे शहरों में हैं तो बेसिक सैलरी का 40 फीसदी।

इसमें एक खास बात यह होती है कि अगर आप अपने पिता के घर में किरायेदार के तौर पर रहते हैं तो भी आपको इसमें छूट मिल सकती है। अगर आपका मकान आपकी पत्नी/पति या किसी करीबी के नाम है तो भी आप इसका फायदा उठा सकते हैं। मगर इसके लिए आपको हर महीने उस व्यक्ति के नाम चेक काटना होगा और किराये की रसीदें दफ्तर में जमा करानी होंगी। जो आपसे किराया ले रहा है, उसके अन्य स्रोतों में यह राशि जुड़ जाएगी।